रविवार, 24 फ़रवरी 2008

उड़ान का आगाज...

एक छोटी सी सोच का नतीजा नि:शक्तजनों के लिए मेरी पहली सीरीज `उड़ान हौसले की´ और सीरीज का पहला हीरो बना एक हाथ के सहारे चांद को छूने की हसरत रखने वाला दाएं हाथ से नि:शक्त वसीम जाफर.

तारों का अनमोल जहां...

बोलते इशारे, सुनती आंखें और बात करती दिल की धड़कन. ये है SPASTIC बच्चों का एक अलग जहां श्रीगंगानगर का जुबिन हॉस्पीटल.

अहसास के गुरु...

श्रीगंगानगर के श्री जगदंबा मूक-बधिर-अंध विद्यालय के प्रथम गुरु अमरनाथ गर्ग, जिन्होंने ताउम्र बच्चों को सिखाया अहसास की ज्योत जलाना.

अटल धर्मवीर...

बेबसी के तूफानों को दिए सा ओजस्वी तेज लिए अटल खड़ा धर्मवीर जूडो में नेशनल चैंपियन रह चुका है .
धर्मवीर मूक-बधिर है.

मिशन पॉसिबल...

रमेश कुमार का हर दिन मिशन की तरह है. 24 साल से केंद्र सरकार का मुलाजिम रमेश दृष्टिहीन है.

हुनर की सरगम, भूली सारे गम...

राजस्थानी संगीत पर थिरकती श्वेता खुद उस संगीत को सुन पाने में अक्षम है। फिर भी वो एक उम्दा कलाकार की तरह स्टेज पर शानदार प्रस्तुति देती है।

हिम्मत से उजास...

हादसे से अंधियारा होने के बावजूद हिम्मत से जीवन में उजास किया हनी कटारिया ने.

जुनून के पैर, लक्ष्य की दौड़...

खुद पर यकीन से लक्ष्य की ओर दौड़ता शख्स नरेंद्र पाईवाल.

ठोकरों से चलना सीखा...

श्रीगंगानगर के कलेक्ट्रेट में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नानकराम दृष्टिहीन है. फिर भी वो यहां के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है.

`भारत´ को सलाम...

पैरों पर तो सभी नाचते हैं मगर हाथों पर थिरकती प्रतिभा है हनुमानगढ़ के एकलव्य आश्रम का भारत.

जग जीतने का जुनून-जगसीर...


होंठ खामोश मगर मन:स्थिति नदी की तरह. ओलिंपिक चैंपियन बनना ही एकमात्र लक्ष्य.

शह और मात...

जीवन रूपी शतरंज की बिसात पर नि:शक्तता के वजीर को मात दी परशुराम ने.

टूटे सपनों को जोड़ा...

ख्वाबों के महल में हंसता-खेलता आनंद का परिवार. और फिर हादसों के मलबे में दबकर रह गए सपने‡

थमी नहीं उड़ान...

हादसे ने मनोज को तीन माह की नींद में सुला दिया. जब जागा तो आधी देह जवाब दे चुकी थी. मगर उड़ान थमी नहीं और आखिर जीत ही ली जिंदगी की जंग.

स्ट्रगलिंग मैन-राजेश...

पहले प्रकृति फिर गरीबी की मार ने राजेश को अभावों के भंवर में गोते मारने के लिए छोड़ दिया, लेकिन मेहनत से राजेश हाथ की रेखाओं पर जमीं धूल को बुहारने में जुटे हैं.

टॉपर अनिल पांडे...

लंबी दूरी का सफर तय करना ही अनिल पांडे का ध्येय है.

उलझन भरी जिंदगी...

अकाउंट्स की उलझनों को चुटकियों में सुलझाने वाले अनिल की जिंदगी में ऐसा मोड़ आया कि उनका जीवन ही उलझन बनकर रह गया.

सारा आकाश हमारा...

कहते हैं कि मंजिल की राहों में पड़ाव आते हैं, मगर लगातार चलने का हौसला रखने वाले जांबाजों के रास्तों में तो मंजिलें बेखौफ आती हैं. श्रीगंगानगर के श्री जगदंबा मूक-बधिर-अंध विद्यालय के सुमित सोनी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

दृढ़ इच्छाशक्ति...

कभी गुस्से में बुदबुदाना तो कभी हंसी से खिलखिलाना. पल-पल बदलते चेहरे के भावों के पीछे है श्याम सुंदर का चंचल मन.

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2008

मैडल बॉय-जसवंत...

जसवंत-श्री जगदंबा मूक-बधिर-अंध विद्यालय की ओर से सर्वाधित पदक विजेता.

नाचे मयूरी...

एक पैर पर खड़ी श्वेता पांडे और उस पर उसका मयूरी की तरह नृत्य.

जुनून, जज्बा और जीत...

एथलेटिक्स ट्रैक का चैंपियन जितेंद्र (रिले दौड़-400 मीटर)

एक हाथ का साथ...

दो पैरों और एक हाथ के बगैर दुनिया जीतने का जज्बा.

गुंजायमान गुंजन...

गुंजन करता हौसलामंद हुनर गुंजन.

गगन-ट्रैक का बिंदास बाइकर...

एक हाथ से बाइक पर अलग तरह के स्टंट करने वाला गगन मनचंदा.