शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008

इक मौन दुआ...

20 अक्टूबर 2008: कहते हैं कि जिस दुआ में शब्दों का भार नहीं होता वो भगवान के दर पर सीधे दस्तक देती है. शायद आपकी एक मौन दुआ चमत्कार के लिए मुन्तजिर बेबस माँ की आँखों के आंसुओं के झरने को कुछ कम कर दे. सीता देवी के कमाऊ बेटे राजेन्द्र सिंह की ज़िन्दगी एक्सीडेंट के बाद से ही बेड पर सिमट कर रह गई है. इलाज के लिए यह परिवार अब तक लगभग ३ लाख रूपये खर्च कर चुका है. हाल ये है कि परिवार के पास हॉस्पिटल में भर्ती राजेन्द्र को डिस्चार्ज करवाने के लिए भी पैसा नहीं है. राजेन्द्र की पूरी देह जवाब दे चुकी है. उसकी अशक्त और निरीह आँखें इस मंजर को सिर्फ देख रही हैं. दोस्तों, मैंने तो शब्दों भरी दुआओं के ज़रिये खुशियों में जान फूंकने का प्रयास किया है. बस, ज़रूरत है आपकी एक मौन दुआ की...